
बिहार में भ्रष्टाचार और शासन का खोखलापन: नीतीश कुमार और बीजेपी की भूमिका पर सवाल
बिहार का स्वास्थ्य ढांचा और सरकारी भ्रष्टाचार एक बार फिर सवालों के घेरे में है, जब मुज़फ्फरपुर के SKMCH सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की दीवारों में दरारें दिखने लगीं। यह वही अस्पताल है जिसे 150 करोड़ की लागत से बनाया गया और जिसका उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने महज तीन दिन पहले ही किया था। इतनी बड़ी लागत और बड़े नेताओं की भागीदारी के बावजूद अस्पताल की हालत देखकर यह साफ हो जाता है कि भ्रष्टाचार ने बिहार के विकास को किस कदर खोखला कर दिया है।
यह घटना बिहार की सरकार और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले प्रशासन की पोल खोलती है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो खुद को “सुशासन बाबू” के नाम से प्रचारित करते हैं, इस तरह के घोटालों पर चुप क्यों हैं? क्या बिहार के मुख्यमंत्री और भाजपा की मिलीभगत से ही ऐसी कमजोर नींव पर यह अस्पताल खड़ा किया गया है? यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इतने बड़े प्रोजेक्ट में उच्चस्तरीय भ्रष्टाचार की बू साफ तौर पर महसूस की जा सकती है।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव और खराब प्रबंधन
150 करोड़ की लागत से बने इस अस्पताल में न केवल दीवारें दरकने लगी हैं, बल्कि मरीजों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। डॉक्टरों और नर्सों का समय पर न आना, चिकित्सा उपकरणों की कमी, और मरीजों को बिना इलाज लौट जाने की नौबत – यह सब इस भ्रष्टाचार की छवि को और काला कर देता है। यह कैसे हो सकता है कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद अस्पताल की हालत बद से बदतर हो?

जल्दबाजी में किया गया उद्घाटन
इस पूरे प्रकरण में सबसे हास्यास्पद बात यह है कि अस्पताल का उद्घाटन भी जल्दबाजी में किया गया। अधिकारियों ने उद्घाटन की तारीख को ध्यान में रखते हुए अस्पताल का काम आधे-अधूरे हाल में पूरा कर दिया। इसके बाद अस्पताल को बिना पूरी तरह तैयार किए ही चालू कर दिया गया। ऐसा क्यों हुआ? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव था? क्या नीतीश कुमार और भाजपा के नेताओं ने उद्घाटन के लिए जल्दबाजी में अस्पताल को तैयार दिखाने का दबाव बनाया?
भ्रष्टाचार की जड़ें और बीजेपी का समर्थन
यह कोई पहली घटना नहीं है जब बिहार में किसी बड़े प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की बात सामने आई हो। बीजेपी, जो बिहार सरकार में सहयोगी पार्टी है, इस पर चुप क्यों है? जब राज्य के करोड़ों रुपये ऐसे प्रोजेक्ट्स में खर्च किए जा रहे हैं, जिनमें निर्माण से पहले ही दरारें आ रही हैं, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि किसके हाथ में ये पैसे जा रहे हैं?
इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन, निर्माण कंपनी, और सरकार के बीच की सांठगांठ साफ दिखाई देती है। नीतीश कुमार और बीजेपी की सरकार को इस पर जवाबदेही लेनी चाहिए।
बिहार के लोगों के साथ यह धोखा क्यों किया जा रहा है? आखिर इस भ्रष्टाचार की सड़ांध कितनी गहरी है और कौन इसे रोकने के लिए कदम उठाएगा?
यह समय है कि बिहार के लोग अपनी सरकार से सवाल करें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं। SKMCH अस्पताल की दीवारों में आई दरारें केवल इमारत की कमजोरी नहीं, बल्कि बिहार सरकार के खोखले वादों की तस्वीर हैं।
बिहार में भ्रष्टाचार की कहानी: SKMCH सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की दीवारों में दरार, 150 करोड़ की लागत पर उठते सवाल

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