
कर्नाटक का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों के बदले स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित हो गया था और कांग्रेस ने इसमें बाजी मार ली.
बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार समझा जाने वाला कर्नाटक उसके हाथ से निकल गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तूफानी कैंपेनिंग भी बीजेपी के इस दुर्ग को बचा नहीं पाई.
कांग्रेस ने इस बार मुद्दों को पहचानने में अच्छी समझ दिखाई. कांग्रेस ने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया.
पार्टी ने जीतने पर महिलाओं के लिए जो योजनाएं लागू करने का वादा किया था उसका असर दिखा और कांग्रेस के पांच साल बाद दोबारा कर्नाटक की सत्ता में आने का रास्ता साफ हो गया.
कर्नाटक के वोटरों ने जो फैसला दिया उससे कांग्रेस का हौसला काफी बढ़ा है. उसका ये बढ़ा हुआ हौसला पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों और फिर 2024 के लोकसभा चुनावों में उसे बीजेपी से टकराने में मददगार साबित होगा.
“हिजाब विवाद, मंदिरों के मेले में दुकान खोलने वाले मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और बजरंग दल की बजरंग बली से तुलना जैसे मुद्दे बोम्मई सरकार की पहचान बन गए. बजरंग दल वाले मुद्दे का तो पीएम ने भी जिक्र किया था.”
”कांग्रेस के लिए ये हौसला बढ़ाने वाला चुनाव रहा है. इसने राहुल गांधी में और आत्मविश्वास भरा है.”
“इसके साथ ही इसने बीजेपी को यह संदेश दिया है कि कर्नाटक में येदियुरप्पा और राजस्थान में वसुंधरा राजे जैसे राज्य के बड़े नेताओं के पर नहीं कतरे जाने चाहिए. केंद्र के आदेश राज्यों में कामयाब नहीं होते.”
एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीबीसी हिंदी से कहा था कि कर्नाटक में पीएम को आकर डबल इंजन की सरकार जैसी बात करने की कोई जरूरत नहीं थी. जबकि मामला पूरा स्थानीय था.
खड़गे ने बीबीसी से कहा था, ”बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री अपने काम पर ध्यान दें. उन्हें जिस चीज के लिए चुना गया है वही करें. वो नगरपालिका के अध्यक्ष, मेयर या मुख्यमंत्री नहीं हो सकते.”
कर्नाटक की सफलता के बाद कांग्रेस ने कहा कि पार्टी उत्तर भारत के उन राज्यों में भी यही नीति अपनाएगी जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी लगातार ‘डबल इंजन’ की सरकार और ‘केरला स्टोरी’ का जिक्र कर कांग्रेस को अपने मैदान में खेलने के लिए घसीटना चाहते थे.
बड़ा सवाल
अब सवाल ये है कि कांग्रेस अमित शाह के उस बयान को कैसे देखेगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस जीती तो राज्य में सांप्रदायिक दंगे होंगे.
